Rahat indori shayari in Hindi | Rahat indori famous love shayari lyrics | Rahat Indori Best Shayari, sher, quotes, Mushaira, Poetry
Rahat indori shayari in Hindi | Rahat indori famous love shayari lyrics | Rahat Indori Best Shayari, sher, quotes, Mushaira, Poetry
Rahat Indory Biography
Rahat was born in Indore on January 1, 1950, to a textile mill employee, Raftullah Qureshi, and Maqbool Un Nisha Begum. They are the fourth child of both of them. He got his early education at Nutan School Indore. He completed his graduation in 1973 from Islamia Karimiya College Indore and did his MA in Urdu Literature in 1975 from Barkatullah University, Bhopal. Thereafter, in 1985, he received his PhD in Urdu literature from Madhya Pradesh Bhoj Open University in Madhya Pradesh.
Rahat ji had two elder sisters named Tehzeeb and Takib, one elder brother Akeel and then one younger brother Adil. The financial condition of the family was not very good and Rahat ji had to face many difficulties in the initial days. He started working as a sign-painter in his own city at less than 10 years of age. Painting was one of his areas of interest and very soon gained a name.
He became Indore's busiest signboard painter in no time. Because of his talent, exceptional design skills, superb color sense and imagination and that is why he is also famous. It was also a time that customers were also willing to wait months to get the boards painted by relief. Paint done for shops here can be seen on many signboards even today in Indore.
Dr. Rahat Indori is performing at Mushaira and Kavi Sammelan for 40 to 45 years in a row. He has traveled widely internationally to read poetry. He has participated in Kavi sects in almost all the districts of India and several times in USA, UK, Canada, Singapore, Mauritius, KSA, Kuwait, Bahrain, Oman, Pakistan, Has also traveled from Bangladesh, Nepal etc.
Rahat Indory Shayari In Hindi WhatsApp Status
मैं कितनी बार लूटा हूँ मुझे हिसाब तो दे।
लोग हर मोड़ पे रूक रूक के संभलते क्यूँ है
इतना डरते है तो घर से निकलते क्यूँ है।
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है हम
आँधी से कोई कह दे के औकात में रहे।
आँखों में पानी रखो होठों पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो।
एक ही नदी के है यह दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िन्दगी से, मौत से यारी रखो।
फूक़ डालूगा मैं किसी रोज़ दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है की जला भी न सकूं।
कही अकेले में मिलकर झंझोड़ दूँगा उसे
जहाँ जहाँ से वो टूटा है जोड़ दूँगा उसे
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का
इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।
जा के ये कह दो कोई शोलो से, चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तय्यारी से
बादशाहों से भी फेंके हुए सिक्के ना लिए
हमने ख़ैरात भी माँगी है तो ख़ुद्दारी से।
प्यास तो अपनी सात समन्दर जैसी थी,
ना हक हमने बारिश का अहसान लिया।
मैंने दिल दे कर उसे की थी वफ़ा की इब्तिदा
उसने धोखा दे के ये किस्सा मुकम्मल कर दिया
शहर में चर्चा है आख़िर ऐसी लड़की कौन है
जिसने अच्छे खासे एक शायर को पागल कर दिया।
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को
समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूंगा उसे।
नये किरदार आते जा रहे है
मगर नाटक पुराना चल रहा है।
उस की याद आई है, साँसों ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनो से भी इबादत में ख़लल पड़ता है।
मैं वो दरिया हूँ की हर बूंद भँवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
दो ग़ज सही ये मेरी मिल्कियत तो है
ऐ मौत तूने मुझे जमींदार कर दिया।
हर एक हर्फ का अन्दाज बदल रक्खा है
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रक्खा है
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ताजमहल रक्खा है।
ना हम-सफ़र ना किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा।
बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाय।
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अंन्धेरे में निकल पड़ता है।
छू गया जब कभी ख़याल तेरा
दिल मेरा देर तक धड़कता रहा।
कल तेरा जिक्र छिड़ गया था घर में
और घर देर तक महकता रहा।
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं,
कभी धुए की तरह परबतों से उड़ते हैं,
ये कैंचियाँ हमें उड़ने से ख़ाक रोकेंगी,
के हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं...
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो,
तैर के दरिया पार करो
फूलों की दुकानें खोलो,
ख़ुशबू का व्यापार करो
इश्क़ ख़ता है तो ये ख़ता
एक बार नहीं सौ बार करो।
Rahat Indory best shayari and ghazals in hindi
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
नए किरदार आते जा रहे हैं
मगर नाटक पुराना चल रहा है
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
मैं आख़िर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता
यहाँ हर एक मौसम को गुज़र जाने की जल्दी थी
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
मैं ने अपनी ख़ुश्क आँखों से लहू छलका दिया
इक समुंदर कह रहा था मुझ को पानी चाहिए
शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम
आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे
सूरज सितारे चाँद मिरे सात में रहे
जब तक तुम्हारे हात मिरे हात में रहे
कॉलेज के सब बच्चे चुप हैं काग़ज़ की इक नाव लिए
चारों तरफ़ दरिया की सूरत फैली हुई बेकारी है
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
वो चाहता था कि कासा ख़रीद ले मेरा
मैं उस के ताज की क़ीमत लगा के लौट आया
ये हवाएँ उड़ न जाएँ ले के काग़ज़ का बदन
दोस्तो मुझ पर कोई पत्थर ज़रा भारी रखो
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे
नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो
हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे
कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
घर के बाहर ढूँढता रहता हूँ दुनिया
घर के अंदर दुनिया-दारी रहती है
शहर क्या देखें कि हर मंज़र में जाले पड़ गए
ऐसी गर्मी है कि पीले फूल काले पड़ गए
अजनबी ख़्वाहिशें , सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे , कि उड़ा भी न सकूँ
आँख में पानी रखो , होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो , तरकीबें बहुत सारी रखो
रोज़ तारों को नुमाइश में , खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं , अंधेरे में निकल पड़ता हैं
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तिरे शहर में आते जाते
बहुत ग़ुरूर है दरिया को अपने होने पर
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ
बीमार को मरज़ की दवा देनी चाहिए
मैं पीना चाहता हूँ पिला देनी चाहिए
बोतलें खोल कर तो पी बरसों
आज दिल खोल कर भी पी जाए
दोस्ती जब किसी से की जाए
दुश्मनों की भी राय ली जाए
एक ही नद्दी के हैं ये दो किनारे दोस्तो
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो
अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं
आँखों में पानी रखों, होंठो पे चिंगारी रखो
जिंदा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
राह के पत्थर से बढ के, कुछ नहीं हैं मंजिलें
रास्ते आवाज़ देते हैं, सफ़र जारी रखो
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं हैं हम
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें
गुलाब, ख्वाब, दवा, ज़हर, जाम क्या क्या हैं
में आ गया हु बता इंतज़ाम क्या क्या हैं
फ़क़ीर, शाह, कलंदर, इमाम क्या क्या हैं
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या हैं
कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते हैं
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते हैं
ये केचियाँ हमें उड़ने से खाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते हैं
हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं
आज से हमने तेरा नाम ग़ज़ल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक “ताजमहल” रखा हैं
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं
नए सफ़र का नया इंतज़ाम कह देंगे
हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगे
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए
वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे
जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए
सरहदों पर तनाव हे क्या
ज़रा पता तो करो चुनाव हैं क्या
शहरों में तो बारूदो का मौसम हैं
गाँव चलों अमरूदो का मौसम हैं
काम सब गेरज़रुरी हैं, जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं, गजब करते हैं
आप की नज़रों मैं, सूरज की हैं जितनी अजमत
हम चरागों का भी, उतना ही अदब करते हैं
ये सहारा जो न हो तो परेशां हो जाए
मुश्किलें जान ही लेले अगर आसान हो जाए
ये कुछ लोग फरिस्तों से बने फिरते हैं
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाये तो इन्सां हो जाए
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
लवे दीयों की हवा में उछालते रहना
गुलो के रंग पे तेजाब डालते रहना
में नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा
तुम आफताब में कीड़े निकालते रहना
जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे
में कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव
में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे
सफ़र की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मज़ा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे
तुफानो से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाहो का चक्कर छोड़ो, तैर कर दरिया पार करो
फूलो की दुकाने खोलो, खुशबु का व्यापर करो
इश्क खता हैं, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो
उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं,मुझ से, रूठे रूठे हैं
चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर, वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब
जा के कोई कह दे, शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले हैं बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से
बन के इक हादसा बाज़ार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की करो कद्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा
नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती हैं
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती हैं
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सज़ा न देके अदालत बिगाड़ देती हैं
लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते हैं तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मोड़ होता हैं जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यही आके फिसलते क्यों हैं
साँसों की सीडियों से उतर आई जिंदगी
बुझते हुए दिए की तरह, जल रहे हैं हम
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सुखा गयी
हैं हम भी आफताब, मगर ढल रहे हैं हम
इश्क में पीट के आने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ
हर हकीकत को मेरी, खाक समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ
एक अख़बार हूँ, औकात ही क्या मेरी
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ
दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं
हमें चराग समझ कर भुझा ना पाओगे
हम अपने घर में कई आफ़ताब रखते हैं
मिरी ख़्वाहिश है कि आँगन में न दीवार उठे
मिरे भाई मिरे हिस्से की ज़मीं तू रख ले
न हम-सफ़र न किसी हम-नशीं से निकलेगा
हमारे पाँव का काँटा हमीं से निकलेगा
मैं पर्बतों से लड़ता रहा और चंद लोग
गीली ज़मीन खोद के फ़रहाद हो गए
मज़ा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को
समझ रही थी कि ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे
उस की याद आई है साँसो ज़रा आहिस्ता चलो
धड़कनों से भी इबादत में ख़लल पड़ता है
ख़याल था कि ये पथराव रोक दें चल कर
जो होश आया तो देखा लहू लहू हम थे
मैं आ कर दुश्मनों में बस गया हूँ
यहाँ हमदर्द हैं दो-चार मेरे
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता देना
हाथ जब उससे मिलाओ दबा भी देना
नशा वेसे तो बुरी शे है, मगर
“राहत” से सुननी हो तो थोड़ी सी पिला भी देना
इन्तेज़ामात नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ
मेरा घर आग की लपटों में छुपा हैं लेकिन
जब मज़ा हैं, तेरे आँगन में उजाला जाएँ
ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
में बच भी जाता तो मरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ कट गए
वरना में तेरी मांग में सिन्दूर भरने वाला था
इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए
मेरे “अल्लाह” मेरी ख़ाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते हैं खाली ख्वाब मेरी आँखों को
काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाए
साल भर ईद का रास्ता नहीं देखा जाता
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए
दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
बोतलें खोल के तो पि बरसों
आज दिल खोल के पि जाए
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं
हमें कुछ और मत पढवाओ, हम कुरान पढ़ते हैं
यहीं के सारे मंजर हैं, यहीं के सारे मौसम हैं
वो अंधे हैं, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते हैं
चलते फिरते हुए मेहताब दिखाएँगे तुम्हे
हमसे मिलना कभी पंजाब दिखाएँगे तुम्हे
इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया
बातों के तेजाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए
जब भी कोई इलज़ाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया
कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब हैं
लोगो ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया
मौसमो का ख़याल रखा करो
कुछ लहू मैं उबाल रखा करो
लाख सूरज से दोस्ताना हो
चंद जुगनू भी पाल रखा करो
रोज़ तारों को नुमाइश में खलल पड़ता हैं
चाँद पागल हैं अन्धेरें में निकल पड़ता हैं
उसकी याद आई हैं सांसों, जरा धीरे चलो
धडकनों से भी इबादत में खलल पड़ता हैं
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से हैं, ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अमानत में खयानत हो जाए
सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
जवानिओं में जवानी को धुल करते हैं
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते हैं
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं
जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पक रहे होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उंगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे
इश्क ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
फूल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए
जुबा तो खोल, नज़र तो मिला,जवाब तो दे
में कितनी बार लुटा हु, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में हैं उतार चढाव
में तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे
उसकी कत्थई आंखों में हैं जंतर मंतर सब
चाक़ू वाक़ू, छुरियां वुरियां, ख़ंजर वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठीं,मुझ से, रूठे रूठे हैं
चादर वादर, तकिया वकिया, बिस्तर विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर, वह भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पड़ गए कपड़े वपड़े, ज़ेवर वेवर सब
फैसला जो कुछ भी हो, हमें मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है, तो थोडा दूर होना चाहिए
अब जो बाज़ार में रखे हो तो हैरत क्या है
जो भी देखेगा वो पूछेगा की कीमत क्या है
एक ही बर्थ पे दो साये सफर करते रहे
मैंने कल रात यह जाना है कि जन्नत क्या है
आग के पास कभी मोम को लाकर देखूं
हो इज़ाज़त तो तुझे हाथ लगाकर देखूं
दिल का मंदिर बड़ा वीरान नज़र आता है
सोचता हूँ तेरी तस्वीर लगाकर देखूं
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेश में वो किससे रजाई मांगे
राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते
Rahat Indory 2 Line Shayari Whatsapp Status
Ab Na Main Hun, Na Baaki Hai Zamane Mere,
Fir Bhi MashHoor Hain Shaharon Mein Fasane Mere,
Zindagi Hai Toh Naye Zakhm Bhi Lag Jayenge,
Ab Bhi Baaki Hain Kayi Dost Puraane Mere.
अब ना मैं हूँ, ना बाकी हैं ज़माने मेरे,
फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे,
ज़िन्दगी है तो नए ज़ख्म भी लग जाएंगे,
अब भी बाकी हैं कई दोस्त पुराने मेरे।
Loo Bhi Chalti Thi Toh Baad-e-Shaba Kehte The,
Paanv Failaye Andheron Ko Diya Kehte The,
Unka Anjaam Tujhe Yaad Nahi Hai Shayad,
Aur Bhi Log The Jo Khud Ko Khuda Kehte The.
लू भी चलती थी तो बादे-शबा कहते थे,
पांव फैलाये अंधेरो को दिया कहते थे,
उनका अंजाम तुझे याद नही है शायद,
और भी लोग थे जो खुद को खुदा कहते थे।
Haath Khali Hain Tere Shahar Se Jate Jate,
Jaan Hoti Toh Meri Jaan Lutate Jate,
Ab Toh Har Haath Ka Patthar Humein Pehchanta Hai,
Umr Gujri Hai Tere Shahar Mein Aate Jate.
हाथ ख़ाली हैं तेरे शहर से जाते जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुज़री है तेरे शहर में आते जाते।
Chehron Ke Liye Aayine Kurbaan Kiye Hain,
Iss Shauk Mein Apne Bade Nuksaan Kiye Hain,
Mehfil Mein Mujhe Gaaliyan Dekar Hai Bahut Khush,
Jis Shakhs Par Maine Bade Ehsaan Kiye Hain.
चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये हैं,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियाँ देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है।
Teri Har Baat Mohabbat Mein Ganwara Karke,
Dil Ke Bajaar Mein Baithe Hain Khasaara Karke,
Main Woh Dariya Hun Ke Har Boond Bhanwar Hai Jiski,
Tumne Achha Hi Kiya Hai Mujhse Kinaara Karke.
तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाज़ार में बैठे हैं खसारा करके,
मैं वो दरिया हूँ कि हर बूंद भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके।
Aankhon Mein Pani Rakho Hontho Pe Chingari Rakho,
Zinda Rahna Hai Toh Tarkeebein Bahut Saari Rakho,
Ek Hi Nadi Ke Hain Yeh Do Kinare Dosto,
Dostana Zindagi Se Maut Se Yaari Rakho.
आँख में पानी रखो होंटों पे चिंगारी रखो,
ज़िंदा रहना है तो तरकीबें बहुत सारी रखो,
एक ही नदी के हैं ये दो किनारे दोस्तो,
दोस्ताना ज़िंदगी से मौत से यारी रखो।
Ajeeb Log Hain Meri Talash Mein Mujhko,
Wahan Par Dhoondh Rahe Hain Jahan Nahi Hun Main,
Main Aayino Se Toh Mayoos Laut Aaya Hun,
Magar Kisi Ne Bataya Bahut Haseen Hun Main.
अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझको,
वहाँ पर ढूंढ रहे हैं जहाँ नहीं हूँ मैं,
मैं आईनों से तो मायूस लौट आया था,
मगर किसी ने बताया बहुत हसीं हूँ मैं।
Ajnabi Khwahishein Seene Mein Daba Bhi Na Sakun,
Aise Ziddi Hain Parinde Ke Uda Bhi Na Sakun,
Foonk Dalunga Kisi Roj Main Dil Ki Duniya,
Yeh Tera Khat To Nahi Ke Jala Bhi Na Sakun.
अजनबी ख़्वाहिशें सीने में दबा भी न सकूँ,
ऐसे ज़िद्दी हैं परिंदे कि उड़ा भी न सकूँ,
फूँक डालूँगा किसी रोज़ मैं दिल की दुनिया,
ये तेरा ख़त तो नहीं है कि जला भी न सकूँ।
Roj Taaron Ki Numaaish Mein Khalal Padta Hai,
Chand Pagal Hai Andhere Mein Nikal Padta Hai,
Roj Patthar Ki Himayat Mein Ghazal Likhte Hain,
Roj Sheeshon Se Koi Kaam Nikal Padta Hai.
रोज़ तारों को नुमाइश में ख़लल पड़ता है,
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है,
रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़ज़ल लिखते हैं,
रोज़ शीशों से कोई काम निकल पड़ता है।
Use Ab Ke Wafaon Se Gujar Jaane Ki Jaldi Thi,
Magar Iss Baar Mujhko Apne Ghar Jaane Ki Jaldi Thi,
Main Aakhir Kaun Sa Mausam Tumhare Naam Kar Deta,
Yehan Har Ek Mausam Ko Gujar Jaane Ki Jaldi Thi.
उसे अब के वफ़ाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी।
Haath Khali Hain Tere Shehar Se Jaate-Jaate,
Jaan Hoti Toh Meri Jaan Lutate Jaate,
Ab Toh Har Haath Ka Pathar Humein Pehchanta Hai,
Umar Gujri Hai Tere Shehar Mein Aate Jaate.
हाथ खाली हैं तेरे शहर से जाते-जाते,
जान होती तो मेरी जान लुटाते जाते,
अब तो हर हाथ का पत्थर हमें पहचानता है,
उम्र गुजरी है तेरे शहर में आते जाते।
Two Line Shayaris
Maine Apni Khushk Aankhon Se Lahoo Chalka Diya,
Ik Samandar Keh Raha Tha Mujhko Paani Chahiye.
मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए।
Bahut Guroor Hai Dariya Ko Apne Hone Par,
Jo Meri Pyaas Se Uljhe Toh Dhajjiyan Ud Jayein.
बहुत गुरूर है दरिया को अपने होने पर,
जो मेरी प्यास से उलझे तो धज्जियाँ उड़ जाएँ।
Aate Jate Hain Kayi Rang Mere Chehre Par,
Log Lete Hain Mazaa Zikr Tumhara Kar Ke.
आते जाते हैं कई रंग मेरे चेहरे पर,
लोग लेते हैं मजा ज़िक्र तुम्हारा कर के।
Rahat Indory Best Shayari In Hindi Status
जागने की भी, जगाने की भी, आदत हो जाए
काश तुझको किसी शायर से मोहब्बत हो जाए
दूर हम कितने दिन से है, ये कभी गौर किया
फिर न कहना जो अयानत में खयानत हो जाए !!
★★★★★★
सफर की हद है वहां तक की कुछ निशान रहे
चले चलो की जहाँ तक ये आसमान रहे
ये क्या उठाये कदम और आ गयी मंजिल
मजा तो तब है के पैरों में कुछ थकान रहे !!
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रोज तारों को नुमाइश में खलल पड़ता है
चाँद पागल है अँधेरे में निकल पड़ता है
उसकी याद आई है साँसों, जरा धीरे चलो
धड़कनों से भी इबादत में खलल पड़ता है !!
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बन के एक हादसा बाजार में आ जाएगा
जो नहीं होगा वो अखबार में आ जाएगा
चोर उचक्कों की क़द्र, की मालूम नहीं
कौन, कब, कौन सी सरकार में आ जाएगा !!
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चेहरों के लिए आईने कुर्बान किये है,
इस शौक में अपने बड़े नुकसान किये हैं,
महफ़िल में मुझे गालियां देकर है बहुत खुश,
जिस शख्स पर मैंने बड़े एहसान किये है !!
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साँसों की सीढ़ियों से उतर आई जिंदगी
बुझते हुए दिए की तरह जल रहे है हम
उम्रों की धुप, जिस्म का दरिया सूखा गयी
है हम भी आफ़ताब, मगर ढल रहे हैं हम !!
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Rahat Indory Shayari in Hindi
इस से पहले की हवा शोर मचाने लग जाए
मेरे " अल्लाह " मेरी खाक ठिकाने लग जाए
घेरे रहते है खली ख्वाब मेरी आँखों को
काश कुछ देर मुझे नींद भी आने लग जाये
साल भर लड़ ईद का रास्ता नहीं देखा जाता
वो गले मुझ से किसी और बहाने लग जाए !!
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इश्क़ में पीट के आने के लिए काफी हूँ
मैं निहत्था ही ज़माने के लिए काफी हूँ
हर हकीकत को मेरी, ख़ाक समझने वाले
मैं तेरी नींद उड़ाने के लिए काफी हूँ
एक अखबार हूँ, औकात ही क्या मेरी
मगर शहर में आग लगाने के लिए काफी हूँ !!
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काम सब गैरजरूरी हैं, जो सब करते है
और हम कुछ नहीं करते, अजब करते है
आप की नज़रों में, सूरज की हैं जितनी अजमत
हम चरागों का भी, उतना ही अदब करते हैं !!
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दिलों में आग, लबों पर गुलाब रखते हैं
सब अपने चहेरों पर, दोहरी नकाब रखते हैं
हमे चिराग समझ कर बुझा ना पाओगे
हम अपने घर में कई आफताब रखते हैं !!
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जवान आँखों के जुगनू चमक रहे होंगे
अब अपने गाँव में अमरुद पाक रह होंगे
भुलादे मुझको मगर, मेरी उँगलियों के निशान
तेरे बदन पे अभी तक चमक रहे होंगे !!
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Rahat Indory Best Shayari Status In Hindi 2 Line shayari
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुजर जाने का नहीं
जमीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर जालिम से डर जाने का नहीं !!
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जुबा तो खोल, मज़ार तो मिला, जवाब तो दे
मैं कितनी बार लुटा हूँ, मुझे हिसाब तो दे
तेरे बदन की लिखावट में है उतार चढ़ाव
मैं तुझको कैसे पढूंगा, मुझे किताब तो दे !!
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मुझमे कितने राज है, बतलाऊं क्या
बंद एक मुद्दत से हूँ, खुल जाऊं क्या?
आजिजी, मिन्नत, खुशामद, इल्तजा,
और मैं क्या क्या करूँ, मर जाऊं क्या ?
कल यहां मैं था जहां तुम आज हो
मैं तुम्हारी ही तरह इतराऊं क्या ?
तेरे जलसे में तेरा परचम लिए
सैकड़ों लाशों भी हैं गिनवाऊँ क्या ?
एक पत्थर है वो मेरी राह का,
गर न ठुकवाऊं, तो ठोकर खाऊं क्या ?
फिर जगाया तूने सोये शेर को
फिर वही लहजा दराजी ! आऊं क्या ?
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नयी हवाओं की सोहबत बिगाड़ देती है
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है
जो जुर्म करते है इतने बुरे नहीं होते
सजा न देके अदालत बिगाड़ देती है !!
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ये हादसा तो किसी दिन गुजरने वाला था
मैं बच भी जाता तो मरने वाला था
मेरा नसीब मेरे हाथ काट गए
वर्ण मैं तेरी मांग में सिंदूर भरने वाला था !!
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मेरी हुजरे में नहीं और कही पर रख दो,
आसमा लाये हो ले आओ जमी पर रख दो।
अब कहा ढूढ़ने जाओगे हमारे कातिल,
आप तो क़त्ल का इल्जाम हमी पर रख दो।
उसने जिस ताख पर कुछ टूटे दिए रखे है,
चाँद तारो को भी ले जाके वही पर रख दो !!
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जा के कोई कह दे शोलों से चिंगारी से
फूल इस बार खिले है बड़ी तैयारी से
बादशाहों से भी फेके हुए सिक्के ना लिए
हमने खैरात भी मांगी है तो खुद्दारी से !!
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राहत इंदौरी की शायरी
सरहदों पर तनाव है क्या
जरा पता तो करो चुनाव हैं क्या
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शहर में तो बारूदो का मौसम हैं
गाँव चलो अमरूदों का मौसम है !!
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तेरी हर बात मोहब्बत में गँवारा करके,
दिल के बाजार में बैठे है ख़सारा करके,
मैं वो दरिया हूँ की हर बून्द भंवर है जिसकी,
तुमने अच्छा ही किया मुझसे किनारा करके !!
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तुफानो से आँख मिलाओ, सैलाबों पे वार करो
मल्लाहो का चक्कर छोड़ों, तैर कर दरिया पार करो
फूलो की दुकाने खोलो, खुशबु का व्यापार करो
इश्क़ खता है, तो ये खता एक बार नहीं, सौ बार करो !!
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लोग हर मोड़ पे रुक रुक के संभलते क्यों हैं
इतना डरते है तो फिर घर से निकलते क्यों हैं
मोड़ होता है जवानी का संभलने के लिए
और सब लोग यही आके फिसलते क्यों है !!
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जवानियों में जवानी को धूल करते है
जो लोग भूल नहीं करते, भूल करते है
अगर अनारकली हैं सबब बगावत का
सलीम हम तेरी शर्ते कबूल करते हैं !!
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उसकी कत्थई आँखों में है जंतर मंतर सब
चाक़ू वाकु, छुरियां वुरियां, खंजर वंजर सब
जिस दिन से तुम रूठी, मुझ से रूठे रूठे है
चादर वादर , तकिया वाकिया, बिस्तर विस्तर सब
मुझसे बिछड़ कर, वो भी कहां अब पहले जैसी है
फीके पद गए कपड़े वपड़े, जेवर वेवर सब !!
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अगर खिलाफ है होने दो जान थोड़ी है,
ये सब धुआँ है कोई आसमान थोड़ी है।
लगेगी आग तो आएंगे घर कई जद में,
यहाँ पे सिर्फ हमारा मकान थोड़ी है।
हमारे मुँह से जो निकले वही सदाकत है,
हमारे मुँह में तुम्हारी जुबान थोड़ी है।
मैं जनता हूँ की दुश्मन भी काम नहीं है,
लेकिन हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है।
आज शाहिबे मनसद है कल नहीं होंगे,
किरायेदार है जात्ती मकान थोड़ी है।
सभी का खून है शामिल इस मिट्टी में,
किसी के बाप का हिन्दुस्तान थोड़ी है !!
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हम अपनी जान के दुश्मन को अपनी जान कहते है,
मोहब्बत की इसी मिट्टी को हिन्दुस्तान कहते है।
जो दुनिया में सुनाई दे उसे कहते हैं ख़ामोशी,
जो आंखो में दिखाई दे उसे तूफ़ान कहते है !!
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यही ईमान लिखते हैं, यही ईमान पढ़ते हैं
हमें कुछ और मत पढ़वाओ, हम कुरान पढ़ते है
यही के सारे मंजर हैं, यही के सारे मौसम हैं
वो अंधे है, जो इन आँखों में पाकिस्तान पढ़ते है !!
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सूरज, सितारे, चाँद मेरे साथ में रहें
जब तक तुम्हारे हाथ मेरे हाथ में रहें
शाखों से टूट जाए वो पत्ते नहीं है हम
आंधी से कोई कह दे की औकात में रहें !!
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अब हम मकान में ताला लगाने वाले हैं
पता चला हैं की मेहमान आने वाले हैं !!
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तेरा नसीब चमकदार कर दिया,
इस पार के थपेड़ो ने उस पार कर दिया
अफवा थी की मेरी तबियत ख़राब है,
लोगो ने पूछ-पूछ कर बीमार कर दिया।
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ये सहारा जो न हो तो परेशान हो जाए
मुश्किलें जान ही लेले अगर आसान हो जाए
ये कुछ लोग फ़रिश्तो से बने फिरते है
मेरे हत्थे कभी चढ़ जाये तो इंसान हो जाए !!
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मैंने अपनी खुश्क आँखों से लहू छलका दिया,
इक समंदर कह रहा था मुझको पानी चाहिए !
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सुबह की नई हवाओं की सोभत बिगाड़ देती है,
कबूतरों को खुली छत बिगाड़ देती है।
जो जुर्म करते है वह इतने बुरे नहीं होते,
सजा न देके अदालत बिगाड़ देती है।
मिलाना चाहा है इंसा को जब भी इंसा से,
तो सारे काम सियासत बिगाड़ देती है।
हमारे पीर तकीमीर ने कहा था कभी,
मिया ये आशिकी इज्जत बिगाड़ देती है !!
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इश्क़ ने गूथें थे जो गजरे नुकीले हो गए
तेरे हाथों में तो ये कंगन भी ढीले हो गए
फुल बेचारे अकेले रह गए है शाख पर
गाँव की सब तितलियों के हाथ पीले हो गए !!
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हर एक हर्फ़ का अंदाज़ बदल रखा हैं
आज से हमने तेरा नाम गजल रखा हैं
मैंने शाहों की मोहब्बत का भरम तोड़ दिया
मेरे कमरे में भी एक ''ताजमहल'' रखा है !!
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राहत इंदौरी शायरी Famous Sher
कहीं अकेले में मिल कर झिंझोड़ दूंगा उसे,
जहाँ जहाँ से वो टुटा है जोड़ दूँगा उसे।
मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उस का ,
इरादा मैंने किया था की छोड़ दूँगा उसे।
बदन चुरा के वो चलता है मुझ से शीशा-बदन,
उसे यी डर है कि मैं तोड़ फोड़ दूँगा उसे।
पसीने बाँटता फिरता है हर तरफ सूरज,
कभी जो हाथ लगा तो निचोड़ दूँगा उसे।
मजा चखा के ही माना हूँ मैं भी दुनिया को,
समझ रही थी की ऐसे ही छोड़ दूँगा उसे !!
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काम सब गैरजरूरी हैं, जो सब करते हैं
और हम कुछ नहीं करते हैं, गजब करते है
आपक की नज़रों में, सूरज की है जितनी अजमत
हम चरागों का भी, उतना ही अदब करते हैं !!
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उसे अब के वफाओं से गुजर जाने की जल्दी थी,
मगर इस बार मुझ को अपने घर जाने की जल्दी थी,
मैं आखिर कौन सा मौसम तुम्हारे नाम कर देता,
यहाँ हर एक मौसम को गुजर जाने की जल्दी थी !!
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इंतेजाम नए सिरे से संभाले जाएँ
जितने कमजर्फ हैं महफ़िल से निकाले जाएँ
मेरा घर आग की लपटों में छुपा है लेकिन
जब मजा हैं,तेरे आँगन में उजाला जाएँ !!
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नए सफर का नया इंतजाम कह देंगे
हवा को धुप, चरागों को शाम कह देंगें
किसी से हाथ भी छुप कर मिलाइए
वरना इसे भी मौलवी साहब हराम कह देंगे !!
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चलते फिरते हुए महताब दिखाएंगे तुम्हे,
हमसे मिलना कभी, पंजाब दिखाएंगे तुम्हे।
चाँद हर छत पर है, सूरज है हर आँगन में,
नींद से जागो तो कुछ ख्वाब दिखाएंगे तुम्हे।
पूछते क्या हो की रुमाल के पीछे क्या है,
फिर किसी रोज ये सैलाब दिखाएंगे तुम्हे !!
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दोस्ती जब किसी से की जाये
दुश्मनों की भी राय ली जाए
बोतल खोल के तो पि बरसों
आज दिल खोल के पि जाए !!
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लवे दियो की हवा में उछालते रहना
गुलो के रंग पे तेज़ाब डालते रहना
मैं नूर बन के ज़माने में फ़ैल जाऊँगा
तुम आफ़ताब में कीड़े निकालते रहना !!
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राज़ जो कुछ हो इशारों में बता भी देना
हाथ जब उससे मिलाना तो दबा भी देना
नशा वैसे तो बुरी शे है, मगर
'' राहत '' से सुननी हो तो थोड़ी सी पीला भी देना !!
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फैसला जो कुछ भी हो, हमे मंजूर होना चाहिए
जुंग हो या इश्क़ हो, भरपूर होना चाहिए
भूलना भी हैं, जरूरी याद रखने के लिए
पास रहना हैं, तो थोड़ा दूर होना चाहिए !!
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इस दुनिया ने मेरी वफ़ा का कितना ऊँचा मोल दिया
बातों के तेज़ाब में, मेरे मन का अमृत घोल दिया
जब भी कोई इनाम मिला हैं, मेरा नाम तक भूल गए
जब भी कोई इल्जाम लगा हैं, मुझ पर लाकर ढोल दिया !!
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कश्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया
इस पार के थपेड़ों ने उस पार कर दिया
अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है
लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया !!
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मौसम का ख़याल रखा करो
कुछ लहू मै उबाल रखा करो
लाख सूरज से दोस्ताना हो
चंद जुगनू भी पाल रखा करो !!
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आँखों में पानी रखों, होतो पे चिंगारी रखो
जिन्दा रहना है तो तरकीबे बहुत सारी रखो
राह के पत्थर से बढ़ के, कुछ नहीं है मंजिले
रास्ते आवाज देते हैं, सफर जारी रखो !!
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कभी महक की तरह हम गुलों से उड़ते है
कभी धुएं की तरह पर्वतों से उड़ते है
ये कैंचियाँ हमे उड़ने से ख़ाक रोकेंगी
की हम परों से नहीं हौसलों से उड़ते है !!
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समंदरों में मुआफ़िक हवा चलाता है
और जहाज़ खुद नहीं चलते खुदा चलाता है
ये जा के मील के पत्थर पे कोई लिख आए
वो हम नहीं है जिन्हे रास्ता चलाता है
वो पांच वक़्त नज़र आता है नमाज़ों में
मगर सुना है सब को जुआ चलाता है
ये लोग पाँव नहीं जेहन से अपाहिज है
उधर चलेंगे जिधर रहनुमा चलाता है
हम अपने बूढ़े चराग़ों पे खूब इतराए
और उसको भूल गए जो हवा चलाता है !!
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किसने दस्तक़ दी ये दिल पर कौन है
आप तो अंदर है बहार कौन है !!
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कहना है की ग़ुलाब ख़्वाब दवा ज़ेहर जाम क्या क्या है !
मै आ गया हु बता इंतेज़ाम क्या क्या है !!
फ़क़ीर -शाख कलंदर इमाम क्या क्या है !
तुझे पता नहीं तेरा गुलाम क्या क्या है !!
अमीर -ऐ सेहर के कुछ कारोबार याद आए !
मै रात सोच रहा था हाराम क्या क्या है !!
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फ़ैसला जो कुछ हो मंजूर होना चाहिए
जंग हो या इश्क़ हो भरपूर होना चाहिए
भूलना भी है जरुरी याद रखने के लिए
पास रहना है तो थोड़ा दूर होना चाहिए !!
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जवानियों में जवानी को धूल करते है
जो लोग भूल नहीं करते वो भूल करते है !!
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सबकी पगड़ी को हवाओं में उछाला जाए !
सोचता हु कोई अख़बार निकाला जाए !!
आसमां ही नहीं एक चाँद भी रहता है यहाँ !
भूल कर भी कभी पत्थर ना उछाला जाए!!
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मेरी सांसो में समाया भी बहुत लागता है !
और भी सख्श पराया भी बहुत लगता है !!
उससे मिलने की तमन्ना भी बहुत है !
मगर आने जाने में किराया भी बहुत लगता है !!
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सबको रुसवा बारी बारी किया करो !
हर मौसम में फ़तवे जारी किया करो !!
रोज़ वही एक कोशिश जिंदा रहने की !
मरने की भी कुछ तैयारी किया करो !!
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अंधरे चारो तरफ साय -साय करने लगे !
चराग़ हाथ उठा कर दुवाए करने लगे !!
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जो तौर है दुनिया का उसी तौर से बोलो !
बेहरो का इलाका है जरा जोर से बोलो !!
दिल्ली में हमही बोला करे अमन की बोली !
यारो कभी तुमलोग भी लाहौर से बोलो !!
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कभी अकेले में मिल कर झंझोर दूंगा तुम्हे !
जहा -जहा से वो टुटा है जोड़ दूंगा उसे !!
और मुझे वो छोड़ गया ये कमाल है उसका !
इरादा मैंने किया था छोड़ दूंगा उसे !!
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कस्ती तेरा नसीब चमकदार कर दिया !
इस पार के थपेड़ो ने उस पार कर दिया !!
दो गज़ सही मगर ये मेरी मिल्कीयत तो है !
ऐ -मौत तूने मुझे ज़मीदार कर दिया !!
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